देहरादून: दिल्ली से आई सीबीआई की टीम ने राजधानी देहरादून में तीन स्थानों पर छापेमारी की. इसमें एनएचएआई (NHAI) के एक बड़े अधिकारी के यहां से सीबीआई ने बैंक से जुड़े दस्तावेजों के साथ अन्य दस्तावेज भी अपने कब्जे में लिए.
एनएचएआई अधिकारी घेरे में
गुरुवार दोपहर सीबीआई की टीम सबसे पहले देहरादून के एनएचएआई दफ्तर गई. यहां से टीम ने दफ्तर में मौजूद विभाग के लोगों से बातचीत करके जानकारी हासिल की. इसके बाद सीबीआई की 8 सदस्यों को टीम ईसी रोड स्थित एक बहुमंजिला भवन के छठे फ्लोर पर पहुंची. इस दौरान टीम ने करीब 3 घंटे वहां गुजारे. बताया गया यहां एनएचएआई के प्रोजेक्ट हेड सीके सिन्हा रहते हैं.
3 बॉक्स दस्तावेज कब्जे में
करीब तीन से चार घंटे सीके सिन्हा से कड़ी पूछताछ की गई. इसके बाद टीम के सदस्य वहां से बाहर चले गए. मिली जानकारी के अनुसार सीबीआई ने यहां से 3 बॉक्स दस्तावेज अपने कब्जे में लिए है. बताया जा रहा है गुरुवार को सीबीआई द्वारा देश के अलग-अलग शहरों में छापेमारी की गई. सीबीआई की यह बड़ी कार्रवाई एनएचआई से जुड़ी बताई गई.
अभी कार्रवाई की वजह नहीं है स्पष्ट
है कि उत्तराखंड में भी एनएच 74 का मामला सुर्खियों में रहा है. जिसमें कई अधिकारियों पर सरकार पहले ही एक्शन ले चुकी है. फिलहाल, मामला एनएच-74 से जुड़ा है या फिर कुछ और है इसका स्पष्ट तौर पर पता नहीं लग पाया है.
क्या है एनएच- 74 घोटाला?
साल 2012-13 में हरिद्वार से सितारगंज तक 252 किलोमीटर दूरी के एनएच-74 के चौड़ीकरण की प्रक्रिया की शुरुआत हुई थी. साल 2013 में एनएचएआई ने एक नोटिफिकेशन जारी किया था. जिसके मुताबिक, चौड़ीकरण के दायरे में आने वाली भूमि जिस कंडीशन में है, उसी के आधार पर उसका मुआवजा दिया जाएगा. इसमें जमीन के खसरा नंबर का भी जिक्र किया गया था. कुछ किसानों ने अफसरों, कर्मचारियों और एजेंटों से मिलीभगत करके बैकडेट में खेती की जमीन को अकृषि जमीन दिखाकर करोड़ों रुपये का मुआवजा लिया था. जिससे सरकार को करोड़ों रुपये का खामियाजा उठाना पड़ा.
इस मामले में कई बार शिकायत करने पर 1 मार्च 2017 को तत्कालीन कुमाऊं आयुक्त सेंथिल पांडियन ने रुद्रपुर कलेक्ट्रेट में अफसरों की बैठक ली. तब उन्होंने एमएच-74 के निर्माण कार्य पर धांधली की आशंका जाहिर की थी. जिसके आधार पर ऊधमसिंह नगर के तत्कालीन डीएम को जांच के निर्देश मिले. इस पर 11 मार्च 2017 को तत्कालीन एडीएम प्रताप शाह ने एनएच घोटाले का मुकदमा सिडकुल चौकी में दर्ज कराया था. इसके बाद पुलिस जांच में कई अधिकारियों के नाम सामने आए थे. जांच के आधार पर कई अधिकारियों पर कार्रवाई की गई थी.