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डॉक्टर्स का दावा : कोरोना संक्रमण के बाद टीबी होने का दोगुना खतरा…

सोनीपत/हरियाणा : कोरोना महामारी के बाद से जिन लोगों के फेफड़े कमजोर हो गए हैं उनमें काफी लोगों को टीबी की बीमारी अपनी चपेट में ले रही है। कोरोना संक्रमण से जिन लोगों के फेफड़े कमजोर हो गए हैं, उन्हें टीबी होने का खतरा सामान्य मरीज से दोगुना है। कोरोना के बाद से टीबी मरीजों का भी आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। वहीं मरीजों की ठीक होने की और मौतों की दर भी बढ़ रही है। ओपीडी में टीबी मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ओपीडी परिसर की दूसरी मंजिल पर ऐसे मरीजों के लिए अलग वार्ड बनाया गया है। पहले टीबी मरीजों को सामान्य वार्ड में अन्य मरीजों के साथ ही भर्ती किया जाता था लेकिन अब इनका अलग वार्ड में भर्ती कर इलाज किया जाएगा। इस वार्ड में छह-सात भर्ती मरीजों कर इलाज चल रहा है। नागरिक अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डा. राकेश फोगाट ने बताया कि पहले टीबी मरीजों को सामान्य वार्ड में ही दाखिल कर लिया जाता था। ऐसे में अन्य मरीजों में संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता था क्योंकि टीबी मरीज के दूसरे मरीजों के संपर्क में आने से फैली है। अब ओपीडी में टीबी के मरीज बढ़ रहे हैं। अब ऐसे मरीजों को बेहतर इलाज देने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने ओपीडी परिसर की दूसरी मंजिल पर अलग से 16 बेड का वार्ड बना दिया है। इसमें टीबी के गंभीर मरीजों को भर्ती किया जा रहा है।

इस तरह होगा इलाज

टीबी वार्ड में डा. राकेश फोगाट और डा. शैलेंद्र राणा मरीजों की देखरेख करेंगे। इनके साथ ही डा. योगेश गोयल मरीजों की जांच के लिए वार्ड में दौरा करेंगे। चिकित्सकों का कहना है कि टीबी के गंभीर मरीजों के इलाज के लिए पहली मंजिल पर 30 बेड का आइसीयू बनाया गया है। आवश्यकता पड़ने पर मरीजों को इसमें भी दाखिल किया जा सकता है।

वार्ड के अन्य मरीजों को बचाने की कवायद

टीबी संक्रामक बीमारी है, जो खांसने और रोगी के संपर्क में आने से फैलती है। यदि टीबी के मरीजों को अन्य मरीजों के साथ रखा जाए तो उन्हें भी बीमारी होने की संभावना हो जाती है। ऐसे में टीबी के मरीजों के लिए अलग से वार्ड बना दिया गया है ताकि अन्य मरीजों में संक्रमण न फैले।

जानलेवा हो रही बीमारी

टीबी रोग विशेषज्ञ डा. योगेश गोयल ने बताया कि टीबी को प्रारंभिक अवस्था में ही न रोका जाए तो जानलेवा होती है। यह व्यक्ति को धीरे-धीरे मौत की ओर ले जाती है।रोगी को छह से आठ माह की दवा का कोर्स दिया जाता है तो वह पूरी तरह ठीक हो जाता है। इस बीच अगर दवा छोड़ दी तो बीमारी बढ़ जाती है और वैसी स्थिति में मरीज को 24 माह दवा खानी पड़ती है।

जिन लोगों की हालत कोरोना के कारण गंभीर स्थिति में पहुंच गई थी और उनके फेफड़े कोरोना संक्रमण के कारण अधिक कमजोर हो गए हैं। ऐसे लोग अगर टीबी मरीजों के संपर्क में आते हैं तो उन्हें टीबी होने का खतरा दोगुने से अधिक रहता है। कोरोना संक्रमण के दौरान सभी लोगों के मास्क और शारीरिक दूरी के नियम से टीबी के मरीज घटे थे क्योंकि ये दोनों नियम ही टीबी फैलने से रोकते हैं।अब टीबी के खात्मे के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

– डा. तरुण यादव, जिला टीबी अधिकारी साल-दर-साल बढ़ रहीं मौतें

वर्ष————–कुल मरीज———-ठीक हुए——–प्रतिशत—–मौतें

2018————3629—————3266———–90———–93

2019————4198—————3526———–84———–126

2020————3275—————2849———–87———–118

2021————4274—————3803———–89———–146

साभार – जागरण

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Author: nirbhiknazar

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