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कांग्रेस बोली- ये मतभेद का समय नहीं, गिले शिकवे भूल साधा ममता और पवार से संपर्क

नई दिल्ली: कांग्रेस को फिर से जिंदा करने के लिए सोनिया गांधी कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हैं। राष्ट्रपति चुनाव में उनकी ये रणनीति साफ तौर पर दिखाई दे रही है। अभी तक के हालात के मुताबिक कांग्रेस अपना उम्मीदवार उतारकर विपक्षी एकता को धाराशाई नहीं करना चाहती। उसे पता है कि खुद को जिंदा करने के लिए बीजेपी को कमजोर करना बेहद जरूरी है। नेशनल हेराल्ड केस में ईडी की तलवार के बीच सोनिया गांधी ने खुद ममता बनर्जी और शरद पवार को फोन किया। कांग्रेस का कहना है कि ये समय मतभेदों से ऊपर उठकर देश को बचाने का है। वो सभी विपक्षी दलों के साथ मिलकर चलेगी। हालांकि विपक्षी एकता की पहल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने की है। उन्होंने 15 जून को कॉन्स्टीट्यूशन क्लब दिल्ली में एक संयुक्त बैठक में भाग में लेने के लिए विपक्षी मुख्यमंत्रियों और नेताओं को पत्र लिखा है। उन्होंने गैर बीजेपी शासित मुख्यमंत्रियों अरविंद केजरीवाल, पिनाराई विजयन, नवीन पटनायक, के चंद्रशेखर राव, एमके स्टालिन, उद्धव ठाकरे, हेमंत सोरेन, भगवंत मान और कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी समेत 22 नेताओं को पत्र लिखा है।

निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव की तारीख 18 जुलाई निर्धारित की है। यदि एक से अधिक उम्मीदवार मैदान में होंगे तो फिर मतदान कराया जाएगा। राष्ट्रपति चुनाव में अब सबकी निगाहें इस पर है कि बीजेपी किसे उम्मीदवार बनाती है। अगर चुनाव होता है तो भाजपा अपने सहयोगियों के समर्थन से बेहतर स्थिति में है। दोनों सदनों के वर्तमान कुल 772 सदस्यों में, भाजपा के पास बहुमत है। लोकसभा में अभी तीन और राज्यसभा में 13 सीट खाली हैं। लिहाजा चुनाव की तारीख तक इन आकंड़ों में बदलाव होने के आसार हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक आज की तारीख में राष्ट्रापति चुनाव के लिए कुल वोट लगभग 10.8 लाख हैं। एनडीए के पास 5,26 हजार वोट हैं। यूपीए के हिस्सेा 2,59 हजार वोट हैं। तृणमूल कांग्रेस, वाईएसआरपी, बीजेडी, एसपी और लेफ्ट के पास 2,92 हजार वोट हैं। राज्योंे में कुल 4,790 विधायक हैं। उनके वोटों का मूल्य  5.4 लाख है। सांसदों की संख्याज 767 है जिनके वोटों का कुल मूल्य। भी करीब 5.4 लाख है। विधायक के वोट का मूल्य  सूबे की आबादी और विधायकों की संख्यां के आधार पर तय होता है। सांसदों के वोट का मूल्यम विधायकों के वोटों का कुल मूल्य  को लोकसभा और राज्यऔसभा के सांसदों की संख्याी से भाग देकर तय होता है। देखा जाए तो इस लिहाज से यूपी अहम है। यहां बीजेपी ताकतवर है।

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Author: nirbhiknazar

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