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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘राजनीतिक दलों को मुफ्त उपहार का वादा करने से नहीं रोक सकते हैं’

दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को कहा कि वह राजनीतिक दलों को मुफ्त उपहारों को देने का वादा करने से नहीं रोक सकते हैं क्योंकि मुफ्त उपहारों का मुद्दा बेहद जटिल है। सुप्रीम कोर्ट में डीएमके ने याचिका दायर करके अपील की थी केंद्र सरकार राज्य के कल्याणकारी योजनाओं को मुफ्त उपहार की संज्ञा देकर जनकल्याणकारी सरकारों के संवैधानिक अवधारणा को गलत ठहरा रहा है, इसलिए राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई कल्याणकारी योजनाओं को मुफ्त उपहार करने से रोका जाए। सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका पर भारत के चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस हेमा कोहली की बेंच ने सुनवाई की। समाचार वेबसाइट लाइव लॉ के अनुसार सीजेआई रमण ने सुनवाई के दौरान कहा, “सुप्रीम कोर्ट राजनीतिक दलों को मुफ्त उपहार के वादे से नहीं रोक सकती है। सवाल यह है कि सही वादे क्या होते हैं। क्या हम मुफ्त शिक्षा के वादे को एक मुफ्त उपहार के रूप में देखते हैं?”

उन्होंने कहा, “अभी चिंता यह है कि सरकार द्वारा जनता के पैसे खर्च करने का सही तरीका क्या है। कुछ लोग कहते हैं कि मुफ्त उपहारों से पैसा बर्बाद होता है तो वहीं कुछ लोग यह भी कहते हैं कि यह कल्याणकारी योजनाएं हैं। ऐसे में मुफ्त उपहार के मुद्दे तेजी से जटिल होते जा रहे हैं। आप अपनी राय दें, बहस और चर्चा के बाद ही हम इस मामले में कोई फैसला करेंगे।” इससे पहले बीते 10 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त उपहार के विषय में कहा था कि चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त उपहार देने और उनका वितरण करना एक “गंभीर मुद्दा” है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में अश्विनी उपाध्याय नाम के एक वकील ने इस मामले में जनहित याचिका दायर करते हुए सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि कोर्ट राजनैतिक दलों द्वारा चुनाव में जनता के बीच किये जाने वाले मुफ्त उपहारों के वादे पर रोक लगाये।

यह मुद्दा तब विवादास्पद हो उठा था, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आर्थिक नुकसान का हवाला देते हुए कहा था कि राज्य सरकारों द्वारा जनता को दी जा रही मुफ्त रेवड़ी से देश की अर्थव्यवस्था को भारी धक्का लग रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस कथन का कई राज्य सरकारों द्वारा व्यापक विरोध किया गया था। राज्य सरकारों का कहना था कि केंद्र सरकार जनहित में जिन योजनाओं को चला रही है क्या वो उसे भी मुफ्त रेवड़ी की श्रेणी में रखती है। वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी को बेहद विवादित बताते हुए कड़ी टिप्पणी की थी।

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Author: nirbhiknazar

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