देहरादून: उत्तराखंड में वर्ष 2015 में हुई दारोगा भर्ती प्रक्रिया की विजिलेंस जांच होगी। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति ने कार्मिक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए इस संबंध में आदेश जारी करने के निर्देश दिए है। अब संबंधित पत्रावली पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुमोदन के पश्चात आदेश जारी कर दिए जाएंगे।
वर्ष 2015 में हुई उत्तराखंड पुलिस की दारोगा भर्ती
प्रदेश में विभिन्न भर्ती परीक्षाओं की जांच के बीच वर्ष 2015 में हुई उत्तराखंड पुलिस की दारोगा भर्ती में भी गड़बड़ी के संकेत मिले। दारोगा के 339 पदों पर हुई सीधी भर्ती की परीक्षा की जिम्मेदारी गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय, पंतनगर को दी गई थी।
पूछताछ में सामने आई दारोगा भर्ती में गड़बड़ी
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षा में गड़बड़ी के मामले में जांच कर रही एसटीएफ ने बीते गुरुवार को गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय के पूर्व असिस्टेंट एस्टेब्लिशमेंट आफिसर को गिरफ्तार किया तो उससे हुई पूछताछ में दारोगा भर्ती में गड़बड़ी की बात सामने आई।
विजिलेंस जांच के आदेश जारी करने के निर्देश
इस पर पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने इन भर्तियों की विजिलेंस जांच कराने का अनुरोध शासन से किया। मुख्यमंत्री ने इसकी जांच के आदेश दिए थे। इस कड़ी में बुधवार को यह प्रकरण मुख्य सचिव डा एसएस संधु की अध्यक्षता में गठित समिति के समक्ष लाया गया। इस पर चर्चा के बाद मुख्य सचिव ने इसकी विजिलेंस जांच के आदेश जारी करने के निर्देश दिए। बैठक में अपर मुख्य सचिव गृह राधा रतूड़ी, सचिव कार्मिक शैलेश बगोली व अपर सचिव गृह रिद्धिम अग्रवाल भी उपस्थित थीं।
‘मुझे किसी भी पद पर नियुक्ति देने की कृपा करें…कृपा हो भी गई’
‘परम आदरणीय अध्यक्ष जी, आपकी सेवा में मैं अपना बायोडाटा इस निवेदन के साथ प्रस्तुत कर रहा हूं कि मेरी शैक्षिक योग्यता के अनुसार मुझे विधानसभा में किसी भी पद पर नियुक्ति प्रदान करने की कृपा करें।’ इस प्रार्थना पत्र के आधार पर नौकरी के आदेश हो गए और फिर नौकरी मिल गई। विधानसभा में हुई भर्तियों में गड़बड़ी का मामला उछलने के बाद विधानसभा में पूर्व में नौकरी के लिए आए इस तरह के प्रार्थना पत्र इन दिनों इंटरनेट मीडिया में खूब वायरल हो रहे हैं।
ऐसे एक नहीं अनेक प्रार्थना पत्र वायरल हो रहे हैं। कई प्रार्थना पत्रों की भाषा शैली तो ऐसी है कि मानो प्राथमिक कक्षाओं में आवेदन पत्र लिखने का अभ्यास कराया जा रहा हो। बावजूद इसके उन्हें नौकरी दे दी गई। यही नहीं, इन वायरल प्रार्थना पत्रों के आलोक में तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं। इंटरनेट मीडिया में नौकरी के लिए लोग अपनी योग्यता आदि का हवाला देकर सरकार से नियुक्ति देने का आग्रह कर रहे हैं।