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अपनी संस्कृति अपनी पहचान, दिल्ली मे आयोजित हुआ जौनसार बावर कर्मचारी मिलन समारोह।

नई दिल्ली: जौनसार बावर जनजातीय कल्याण समिति दिल्ली द्वारा आयोजित पौष त्योहार और नववर्ष 2024 के पावन अवसर पर वार्षिक मिलन समारोह एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भव्य आयोजन 7 जनवरी को गाजियाबाद, कमला नेहरू नगर, सैक्टर 19 स्थित एन.डी.आर.एफ के विशाल प्रांगण में समिति चेयरमैन रतन सिंह रावत (आईआरएस), अध्यक्ष विद्यादत्त जोशी (खाद्य विश्लेषक दिल्ली सरकार), अध्यक्ष भवन कमेटी राजेन्द्र सिंह तोमर (सदस्य नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट, भारत सरकार), समिति पूर्व अध्यक्ष कुलानंद जोशी (आईएएस) इत्यादि मंचासीनों के सानिध्य में सैकड़ों जौनसारी प्रबुद्ध जनों व विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति में आयोजित किया गया।

पौष त्योहार का शुभारंभ मंचासीनो के साथ-साथ अन्य विशिष्ट अतिथियों के कर कमलों दीप प्रज्ज्वलित कर व अंचल के प्रेरक शहीदों में प्रमुख केदार सिंह चौहान, कलीराम बिष्ट, नंतराम नेगी, पुनक दास व केसरी चंद के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया गया।

वार्षिक मिलन के इस अवसर पर समिति पदाधिकारियों द्वारा विशिष्ट अतिथियों में प्रमुख गंभीर सिंह चौहान (डीआईजी आईटीबीपी), प्रवीन कुमार तिवारी (कमांडेंट), टी आर शर्मा संयुक्त महानिदेशक (पूर्वोत्तर क्षेत्र), सी एम पपनैं, कलम सिंह चौहान, भारत चौहान, नरेश नामदेव, सुशीला रावत, खुशाल सिंह बिष्ट, हरीश सेमवाल, पी सी नैलवाल, गोपाल उप्रेती, डॉ राजकुमारी चौहान, तारा पपनै, केशर सिंह राही के साथ-साथ आयोजन समिति से जुड़े रहे व वर्ष 2023 में सेवानिवृत हुए प्रबुद्ध जनों में कुलानंद जोशी (आईएएस), रतन सिंह रावत (आईआरएस), प्रताप सिंह चौहान, जयपाल राणा, रणवीर सिंह चौहान, अतर सिंह तोमर, करम चंद शर्मा, राम सिंह तोमर, पवन सिंह, सुरेंद्र सिंह चौहान इत्यादि इत्यादि को पौष त्योहार के अवसर पर शाल ओढ़ा कर व पुष्पगुच्छ प्रदान कर सम्मानित किया गया। मंचासीनों व सम्मानित प्रबुद्ध जनों के कर कमलों समिति द्वारा प्रकाशित डायरेक्ट्री 2024 के साथ-साथ केशर सिंह राही द्वारा रचित हिमांचल व अंचल के कुमाऊं, गढ़वाल तथा जौनसार की पौराणिक वीरगाथाओं पर रचित पुस्तक ‘हारुन’ का विमोचन किया गया।

पौष त्योहार व नववर्ष 2024 के पावन अवसर पर जौनसार बावर जनजातीय कल्याण समिति अध्यक्ष विद्यादत्त जोशी, भवन कमेटी अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह तोमर, समिति चेयरमैन रतन सिंह रावत द्वारा द्वारा बडी संख्या में उपस्थित दिल्ली एनसीआर में प्रवासरत जौनसार समिति सदस्यों के साथ-साथ जौनसार बावर व देश के विभिन्न नगरों व महानगरों से अयोजन में पहुंचे समिति सदस्यों का स्वागत अभिनंदन कर पौष त्योहार व नववर्ष की बधाई दी गई, महासू देव के आशीर्वाद की कामना कर व्यक्त किया गया, 1998 इंडिया गेट में समिति की स्थापना जिन उद्देश्यो की पूर्ति हेतु की गई थी, दिल्ली एनसीआर मे जौनसार बावर के प्रवासरत सभी प्रतिबद्ध प्रबुद्ध सदस्यों के निरंतर मिल रहे सहयोग से समिति अपने उद्देश्यो की आशातीत सफलता की ओर अग्रसर है। अवगत कराया गया दिल्ली एनसीआर में प्रवासरत लगभग जौनसारी परिवार सुख-दुख में सांस्कृतिक, सामाजिक व अन्य गतिविधियों में सदा साथ रहे हैं। एकजुट होकर काम कर रहे हैं। जिससे समिति की गतिविधियों को निरंतर बल मिलता रहा है। समिति अपने उद्देश्यो की पूर्ति में निरंतर सफलता प्राप्ति की ओर अग्रसर हो रही है।

समिति पदाधिकारियों द्वारा अवगत कराया गया, गाजियाबाद में समिति द्वारा क्रय की गई जमीन में भवन निर्माण के कार्य हेतु जो धन संग्रह किया जा रहा है लोगों का संतोष जनक सहयोग प्राप्त हो रहा है। निर्माण लागत जो करीब दो से ढाई करोड़ के लगभग आंकी गई है। उक्त धन संग्रह के लिए समिति सदस्यों द्वारा अंचल के सभी प्रवासी बंधुओं व व्यवसायियों से आर्थिक मदद का आहवान किया गया है, संपर्क साधा जा रहा है।

समिति पदाधिकारियों द्वारा अवगत कराया गया, उत्तराखंड सदन चाणक्यपुरी में पहली बार जौनसार बावर के चार पारंपरिक व्यंजनों को भोजन की थाली में स्थाई रूप से परोसे जाने का निर्णय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा लिया गया है। जिन व्यंजनों को अब प्रत्येक रविवार को उत्तराखंड सदन में परोसा जा रहा है। मुख्यमंत्री द्वारा लिए गए निर्णय का उपस्थित जौनसार बावर समाज के लोगों द्वारा तालीयां बजा कर हर्ष व्यक्त किया गया, मुख्यमंत्री व उनके संबंधित विभाग अधिकारियों के प्रति आभार व्यक्त किया गया।

समिति पदाधिकारियों द्वारा विगत वर्षो में सामाजिक, सांस्कृतिक व जनस्वास्थ के क्षेत्र में किऐ गए कार्यो व मिली सफलता के बावत भी अवगत कराया गया।

समिति द्वारा आयोजित पौष त्योहार के सम्मान समारोह का प्रभावशाली मंच संचालन सुलतान सिंह चौहान व राजेश्वर सिंह द्वारा तथा अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंच संचालन चमन सिंह रावत द्वारा बखूबी किया गया।

आयोजन के इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का शुभारंभ जौनसार बावर की महिलाओं व पुरुषों द्वारा परंपरागत परिधान में विशिष्ट अतिथियों के साथ ‘हारूल’ सामूहिक लोकनृत्य व गायन पारम्परिक रूप में अलग-अलग सामूहिक गोल घेरा बना झूमते व गाते हुए पौष त्योहार मनाया गया। चकराता से अयोजन में सम्मलित रमेशचंद के बैंड द्वारा पारंपरिक लोकनृत्य व गीत-संगीत की धुन में ‘हारुल नृत्य’ कर रही महिलाओ व पुरुषों का उत्साह वर्धन कर आयोजित त्योहार को यादगार बनाया। सशस्त्र बल के बैंड द्वारा भी बैंड मास्टर पांडे जी के नेतृत्व में राष्ट्रीय व अंचल की गीत-संगीत की धुनों को बजा कर समा बांधा।

बाल कलाकारों द्वारा जौनसार के त्योहारों में जौनसारी बोली-भाषा में प्रस्तुत किये जाने वाले गीतों व नृत्योऺ के साथ-साथ स्वरचित प्रभावशाली रचनाओं के माध्यम से न सिर्फ सैकड़ो श्रोताओं का मनोरंजन किया, समिति द्वारा आयोजित पौष त्योहार वार्षिक मिलन समारोह को यादगार बनाया।

समिति पदाधिकारी अतर सिंह रावत, मतवर एस चौहान, कुंवर सिंह तोमर, सचिन चौहान, मंगल सिंह चौहान, अरुण सिंह चौहान इत्यादि इत्यादि के साथ-साथ गंभीर सिंह चौहान (डीआईजी आईटीबीपी) की टीम द्वारा समारोह को सफल बनाने में प्रभावशाली भूमिका का निर्वाह किया गया।

अवलोकन कर व्यक्त किया जा सकता है, जौनसार बावर की विशेष पहचान यहां की पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही लोक संस्कृति की परंपरा के साथ-साथ अंचल के लोगों की आवाभगत व परस्पर उच्च जन भावना की परिपाटी का चलायमान रहना मुख्य विशेषता रही है। नि:स्वार्थ भाव से एक दूसरे के लिए समर्पित रहने वाले जौनसारी समाज में अनेकों ऐसी विशेषताऐ दृष्टिगत होती हैं, जो वैश्विक फलक पर हो रहे बिखराव के दौर में भी एक जुट, एक मुट होकर दुनिया के लिए प्रेरणा का संदेश देने का काम कर रही है।

देखा जा रहा है वैश्विक फलक पर चलायमान लाखों बोलियां और भाषाऐ अपनी संस्कृति समेत या तो खत्म हो चुकी हैं या फिर विलुप्ति की कगार पर हैं, लेकिन जौनसार बावर का सामाजिक और सांस्कृतिक वजूद अपनी बोली-भाषा के साथ परंपरागत रूप में आज भी यथावत चलायमान है, उसका संवर्धन पीढ़ी दर पीढ़ी होता चला गया है। जौनसार बावर के गांवो में ही नहीं, प्रवास में भी जौनसार का जनमानस जहां कहीं भी प्रवासरत है उनकी पारंपरिक लोकसंस्कृति और समाज की जडे आपस में गहरी पैंठ बनाए हुए है।

जौनसार बावर का उत्सवधर्मी समाज, अपनी सरल सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक मान्यताओं के चलते अपने आप में विशिष्ट स्थान रखता है। नृत्य संगीत जौनसारी संस्कृति का अभिन्न अंग है। त्योहारों के दौरान महिलाऐ घाघरा, कुर्ती, झगा, मेकड़ी और ढाँटू के साथ-साथ पारंपरिक जेवरो में हाथों में सोने की चूड़ियां, नाक मे बुलाक या नथ, गले मे कोंठी, चांदी का सूच, कानों मे तुंगल, दोसरू व सिर पर मांग टीका तथा पुरुष ऊन की जंगोल (पयजामा), झगा (कुर्ता), डिगुवां टोपी के साथ लम्बा चौड़ा पहन, लोक संगीत की धुन मे मशगूल हो वरदा, नाटी, हारुल और रासो जैसे लोकनृत्य करते नजर आते हैं।

इस जनजातीय क्षेत्र का सामाजिक और सांस्कृतिक ताना बाना यहां के वाशिंदों के अराध्य देवताओं और उनके नायबो के इर्द-गिर्द घूमता हुआ मिलता है। जो आयोजित सांस्कृतिक आयोजन को देख स्पष्ट दृष्टिगत होता नजर आया है।

दिल्ली एनसीआर में प्रवासरत जौनसारी जनमानस के मध्य सांस्कृतिक विशेषताऐ और परंपराऐ कायम हैं, जो इस समाज के लोगों की खास पहचान है। जौनसार की लोकसंस्कृति कुमाऊ और गढ़वाल से बिल्कुल अलग है। यह समुदाय अपने तीज-त्योहारों व आयोजनों को

जश्न पूर्वक मनाता है। सभी पर्वो पर महिला हो या पुरुष अपने परंपरागत पहनावे में ही दिखाई देते हैं। अपने पारंपरिक वेषभूषा में लोकनृत्य बारदा, नाटी और हारुल सभी समारोहों मे प्रदर्शित करते हैं। झैता, रासो भी जौनसारी महिलाओं के लोकनृत्यो में सुमार रहे हैं।

देश ही नहीं बल्कि दुनिया में अनूठी लोकसंस्कृति और परंपराओ के लिए विख्यात इस क्षेत्र की परंपराऐ व रीति-रिवाज भी अनूठे हैं। जिसके लिए इस क्षेत्र को इस आधुनिक दौर में भी खास तौर से जाना पहचाना जाता है। पौराणिक लोकसंस्कृति व पहनावा आज की आधुनिकता के बदलते युग में भी यहां के जनमानस के मध्य कायम है। महिलाओं का ऐसा पहनावा कहीं देखने को नहीं मिलता है, जहां पूरा शरीर वस्त्र से ढका रहता है। साथ ही कोई भी आयोजन हो उसे सामूहिक रूप से मनाकर अपनी एक जुटता को प्रदर्शित करना भी इस समाज के लोगों की विशेषता है।

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Author: nirbhiknazar

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