Nirbhik Nazar

पहले पकड़े गए फर्जी IAS-IPS, अब गुजरात में फर्जी स्कूल का भंडाफोड़, कमीशन के सहारे 6 साल से चल रहा था स्कैम…

गांधीनगर: गुजरात में फर्जी सरकारी दफ्तर, आईएएस और आईपीएस अधिकारी के बाद अब फर्जी स्कूल पकड़ा गया है. राजकोट में मलियान के पिपलिया गांव में इस फेक स्कूल का पता चला है. जिला शिक्षा विभाग ने स्कूल को सील कर दिया है और इसे चलाने वाले कपल की तलाश की जा रही है. शिक्षा विभाग ने बिना इजाजत स्कूल चलाने के मामले कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है.

स्कूल को लेकर प्राइमरी एजुकेशन ऑफिसर ने कहा कि लिविंग सर्टिफिकेट नहीं देने के संबंध में अंग्रेजी मीडियम के स्कूल के खिलाफ उन्हें शिकायत मिली थी. इसके बाद मामले की जांच की गई और पाया कि मध्य प्रदेश के संदीप तिवारी और उनकी पत्नी कात्यानी तिवारी स्कूल का संचालन कर रहे थे. शिक्षा अधिकारी ने बताया कि कपल चार दुकानें किराए पर लेकर बिना इजाजत कक्षा एक से दसवीं तक गौरी प्री-प्राइमरी स्कूल नाम से स्कूल चला रहे थे.

मान्यता प्राप्त स्कूल से अपनी पढ़ाई जारी रख सकेंगे स्टूडेंट्स

शिक्षा अधिकारी ने बताया कि जांच के बाद पूरे मामले की सच्चाई सामने आई. मसलन, इस मामले में शिक्षा विभाग ने मध्य प्रदेश के रहने वाले कपल को हिरासत में लिया है और उनसे पूछताछ की जा रही है. छापेमारी के दौरान स्कूल में कक्षा एक से दसवीं तक के 29 स्टूडेंट्स मिले. विभाग की कोशिश है कि जो स्टूडेंट्स स्कूल में पढ़ रहे हैं, उनकी शिक्षा प्रभावित न हो. इसलिए वे अपनी आगे की पढ़ाई मान्यता प्राप्त स्कूल से जारी रख सकेंगे.

बड़े स्कूल से कमीशन लेकर चलाते थे स्कूल

शिक्षा विभाग ने पाया कि मध्य प्रदेश के कपल स्कूल में बच्चों का दाखिला लेते थे और उनसे फीस वसूलते थे. इसके बाद उनका एडमिशन एक मान्यता प्राप्त स्कूल में कराया जाता था. कुछ बड़े मान्यता प्राप्त स्कूल से उनके संपर्क थे, जिसमें फीस की कुछ रकम इनके स्कूल को दी जाती थी. यह स्कैम 2018 से चल रहा था.

स्कूल में अपने बच्चे को पढ़ाने वाले परिवार क्या बोले?

अपने बच्चे को गौरी इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाने वाले अभिभावक का कहना है कि उनके बच्चे का लिविंग सर्टिफिकेट पिछले दो साल से नहीं दिया गया है. कोरोना काल में स्कूल फीस भरने के लिए दबाव बनाते थे. स्कूल की फीस भरने के बाद भी बेटे को लिविंग सर्टिफिकेट नहीं दिया गया. कई बार कहने के बाद भी स्कूल प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया.

एक परिवार ने कहा, “मेरा बेटा कक्षा एक से छह तक गौरी इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ा. परीक्षा उत्तीर्ण करने का प्रमाण पत्र पहले दो बार दिया गया था, लेकिन वो सर्टिफिकेट अलग-अलग स्कूलों से दिए गए थे. हमारे एक बच्चे की मासिक फीस 450 रुपये थी जबकि दूसरे बच्चे की मासिक फीस 550 से 600 रुपये थी. 2019 से यह स्कूल यहां पर चल रहा था लेकिन गांव वालों में शिक्षा का अभाव होने के कारण इस फर्जी स्कूल के बारे में किसी को भनक नहीं लगी. अब इस स्कूल का भंडाफोड़ हुआ है.”

nirbhiknazar
Author: nirbhiknazar

Live Cricket Score
Astro
000000

Live News