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लेटरल एंट्री: सीधी भर्ती का फैसला मोदी सरकार ने वापस लिया, विपक्ष ने आरक्षण का हवाला देकर किया था विरोध

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश के बाद संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) से सीधी भर्ती का विज्ञापन रद्द करने को कहा गया है. इसके लिए कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्री जितेंद्र सिंह ने पीएम मोदी के निर्देशानुसार लेटरल एंट्री से जुड़ा विज्ञापन रद्द करने के लिए यूपीएससी के प्रमुख को पत्र लिखा है. इससे पहले लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी समेत कई विपक्षी दलों ने सीधी भर्ती में लेटरल एंट्री और उसमें आरक्षण नहीं दिए जाने पर विरोध किया था. बाद में सरकार में शामिल सहयोगी दल भी इसके विरोध में आ गए थे.

कार्मिक मंत्रालय के राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने संघ लोकसेवा आयोग की प्रमुख प्रीति सुदान को भेजे अपने पत्र में कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सार्वजनिक सेवा में आरक्षण के हिमायती हैं. हमारी सरकार सोशल जस्टिस को मजबूत करने को लेकर प्रतिबद्ध है, इसलिए हम आपसे अनुरोध करते हैं कि उन वैकेंसी का रिव्यू कर रद्द कर दिया जाए जिसे 17 अगस्त को यूपीएससी की ओर से जारी किया गया था.

सरकार ने विपक्ष के दबाव में फैसला लियाः कांग्रेस

यूपीएससी चेयरमैन को लिखे अपने इसी पत्र में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीए सरकार के दौरान इस तरह की नियु्क्ति पर की गई पहल का भी जिक्र किया. जितेंद्र सिंह के मुताबिक, साल 2005 में वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में पहली बार केंद्र सरकार ने इसकी सिफारिश की थी. 2013 में भी यूपीए की सरकार ने लेटरल एंट्री के सहारे पदों को भरने की बात कही थी. उन्होंने यूआईडीएआई और प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में नियुक्त सुपर ब्यूरोक्रेसी का भी जिक्र अपने पत्र में किया.

केंद्र के फैसले पर कांग्रेस नेता पवन खेडा ने कहा कि विपक्ष के दवाव में आ कर केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया है. अब वक्त आ गया है कि देश की बात सुनना शुरू कीजिए क्योंकि देश अब मन की बात विपक्ष के माध्यम से बोलता है.

UPSC ने निकाली थी वैकेंसी

संघ लोकसेवा आयोग की ओर से पिछले हफ्ते 17 अगस्त को 45 पदों के लिए लेटरल एंट्री के जरिए वैकेंसी निकाली गई थी. ये भर्तियां विभिन्न मंत्रालयों में सचिव और उपसचिव पदों को लेकर निकाली गई थी. हालांकि इसमें आरक्षण की व्यवस्था नहीं की गई थी.

इससे पहले लेटरल एंट्री के जरिये लोक सेवकों की भर्ती को लेकर केंद्र पर निशाना साधते हुए लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कल सोमवार को भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि बीजेपी का रामराज्य का विकृत संस्करण संविधान नष्ट करना चाहता है और बहुजनों से उसके आरक्षण का हक छीनना चाहता है.

राहुल गांधी ने किया विरोध

राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर कहा, “लेटरल एंट्री दलितों, ओबीसी और आदिवासियों पर हमला है. बीजेपी का रामराज्य का विकृत संस्करण संविधान को नष्ट करना चाहता है और बहुजनों से आरक्षण छीनना चाहता है.” इससे पहले उन्होंने रविवार को आरोप लगाया था कि पीएम मोदी यूपीएससी की जगह आरएसएस के जरिए लोक सेवकों की भर्ती करके संविधान पर हमला कर रहे हैं.

चिराग पासवान बोले- यह चिंता का विषय

वहीं केंद्र सरकार में सहयोगी और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी इस तरह से सरकारी पदों पर नियुक्तियों के किसी भी कदम की आलोचना की और कहा कि वह केंद्र के समक्ष यह मुद्दा उठाएंगे. चिराग ने इस मुद्दे पर कहा, “किसी भी सरकारी नियुक्ति में आरक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए. इसमें कोई किंतु-परंतु नहीं है. निजी क्षेत्र में आरक्षण नहीं है और अगर सरकारी पदों पर भी यह लागू नहीं किया जाता है… तो यह जानकारी मेरे लिए चिंता का विषय है.”

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Author: nirbhiknazar

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