देहरादून: कैनाल रोड पर पहाड़ काटकर की जा रही अवैध प्लाटिंग के मामले में जिला खान अधिकारी और भूवैज्ञानिक समेत चार कर्मियों को डीएम ने निलंबित कर दिया। मामले में खनिज मोहर्रिर (भूतत्व एवं खनिकर्म इकाई) कुंदन सलाल की ओर से सहारनपुर निवासी आरोपी के खिलाफ डालनवाला कोतवाली में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। वहीं, जिला प्रशासन और एमडीडीए की टीम ने अवैध प्लाटिंग को ध्वस्त कर दिया। राजपुर रोड से सटे कैनाल रोड क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग और भूमि कटान की शिकायत पर जिलाधिकारी सोनिका ने शनिवार को मौके पर जाकर स्थलीय निरीक्षण किया। इसके बाद जिला प्रशासन और मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) की टीम ने अवैध प्लाटिंग को ध्वस्त कर निर्माण कार्यों को रुकवा दिया। प्रथमदृष्टया लापरवाही पाए जाने पर जिला खनन अधिकारी वीरेंद्र सिंह, भूगर्भ वैज्ञानिक अनिल कुमार और एमडीडीए के दो सुपरवाइजर प्यारे लाल व महावीर सिंह को निलंबित करने के निर्देश दिए। उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।
जिलाधिकारी ने बताया कि मामले की विस्तृत जांच के निर्देश दे दिए गए हैं। उन्होंने सभी एसडीएम और संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि जिले में किसी भी प्रकार की अवैध प्लाटिंग और अवैध खनन को बख्शा नहीं जाएगा। अपने-अपने क्षेत्रों में अवैध प्लाटिंग और अवैध खनन पर गंभीरता से निगरानी रखें। इस मौके पर एडीएम प्रशासन एसके बनरवाल, एमडीडीए से सहायक अभियंता अभिषेक भारद्वाज आदि उपस्थित थे।
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ये है मामला
सहारनपुर के 69 मिशन कंपाउंड निवासी अनिल कुमार गुप्ता की ओर से कैनाल रोड पर पहाड़ काटकर 14,175 वर्ग मीटर भूमि पर समतलीकरण और पुश्ता निर्माण कराया जा रहा था। स्थलीय निरीक्षण और दस्तावेज देखने पर पता लगा कि पूर्व में ली गई समतलीकरण की अवधि समाप्त हो चुकी थी। एमडीडीए की ओर से अवैध भूमि विकास एवं प्लाटिंग का कार्य करने के दृष्टिगत संबंधितों के विरुद्ध उत्तराखंड नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम 1973 की सुसंगत धाराओं के तहत 19 जुलाई को कारण बताओ और कार्य रोकने के नोटिस भी भेेजे गए थे।
बैठक में ध्वस्तीकरण, कार्रवाई के दिए निर्देश
एमडीडीए उपाध्यक्ष बृजेश कुमार संत ने डीएम सोनिका, सचिव प्राधिकरण एमएस बर्निया, निदेशक खनन पैट्रिक, अधीक्षण अभियंता एचसीएस राणा और संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक कर निर्णय लिया कि अवैध कार्य को तुरंत प्रभाव से ध्वस्त कर दिया जाए। खान अधिकारी को निलंबित किया जाए। भूगर्भ वैज्ञानिक को भी गलत तथ्य पेश कर पहाड़ कटान की स्वीकृति देने पर निलंबित कर दिया जाए। प्राधिकरण के दो सुपरवाइजरों को भी जानकारी न देने के चलते निलंबित किया जाए। भविष्य में इस तरह की प्रकृति वाले स्थलों पर जहां पर्वतों का कटान किया जाना हो, किसी भी प्रकार के विकास कार्य की अनुमति न देने का भी निर्णय लिया गया।